भरोस ऑपरेटिंग सिस्टम: भरोस भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना है। इस परियोजना का उद्देश्य एक ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करना है जिसका उपयोग सरकार और सार्वजनिक सिस्टम द्वारा किया जा सकता है।

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भरोस ओएस: भारतीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने आज एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया भरोस परीक्षण किया गया है। भारत में बनी ऑपरेटिंग सिस्टम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास द्वारा विकसित किया गया था (आईआईटी मद्रास) द्वारा विकसित किया गया है। भारत की निजता और सुरक्षा को देखते हुए नया ऑपरेटिंग सिस्टम काफी अहम है। नवीनतम ऑपरेटिंग सिस्टम के आने के बाद, Google के Android और Apple के iOS जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी।
आगामी ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग सरकारी विभागों और सार्वजनिक प्रणालियों में किया जाएगा। इससे सरकारी डेटा को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार Android या iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना चाहती है। इसलिए सरकार ने भरोस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया है। इससे भारतीय यूजर्स को सुरक्षित अनुभव देने में मदद मिलेगी। अभी तक देश में ज्यादातर स्मार्टफोन Google के Android OS पर चलते हैं।
आज की बड़ी खबर
डिजिटल इंडिया की सफलता
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, “सिस्टम के विकास में शामिल सभी लोगों को बधाई। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ साल पहले जब पहली बार डिजिटल इंडिया की बात की थी तो हमारे कुछ दोस्तों ने उनका मजाक उड़ाया था, लेकिन आज देश के टेक्नोक्रेट्स, इनोवेटर्स, उद्योग और नीति निर्माताओं और शैक्षणिक संस्थानों ने उनकी बात को मान लिया है। मानना है कि।
टेस्टेड इंडियन ऑपरेटिंग सिस्टम – भरोस को विकसित किया गया @iitMadras साथ @dpradhanbjp जी; पीएम में एक छलांग आगे @नरेंद्र मोदी जिस #आत्मनिर्भरभारत यात्रा। pic.twitter.com/eOt3un5okm
– अश्विनी वैष्णव (@ अश्विनी वैष्णव) जनवरी 24, 2023
भरोस की खास बातें
- भारत दुनिया के सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजारों में से एक है। 1 अरब से ज्यादा मोबाइल यूजर्स हैं, जिनमें बड़ी संख्या में लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। सरकार चाहती है कि इतनी बड़ी आबादी के लिए स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम होना चाहिए।
- मौजूदा समय में 97 फीसदी स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलते हैं। बाकी स्मार्टफोन्स Apple के iOS ऑपरेटिंग सिस्टम पर निर्भर करते हैं। ऐसे में भरोस के आने के बाद गूगल और एपल के ओएस को कड़ी चुनौती मिलेगी।
- अक्सर यूजर्स को ऑपरेटिंग सिस्टम में समय पर अपडेट नहीं मिलते हैं, जो उनके डेटा की सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है। समय पर अपडेट नहीं देने से स्मार्टफोन में सेंधमारी का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, डेटा सुरक्षा की दृष्टि से भोरोस को तैयार किया जा रहा है।
यह इस तरह शुरू होगा
भरोस की सेवाएं वर्तमान में उन संगठनों को प्रदान की जाएंगी जिनके पास मजबूत गोपनीयता और सुरक्षा आवश्यकताएं हैं या जिनके उपयोगकर्ता संवेदनशील जानकारी को संभालते हैं। ऐसा करने के लिए मोबाइल पर प्रतिबंधित ऐप्स पर गोपनीय संचार करना होगा। ऐसे यूजर्स को प्राइवेट 5जी नेटवर्क के जरिए प्राइवेट प्राइवेट क्लाउड सर्विस का एक्सेस चाहिए।