इलेक्ट्रॉनिक चॉपस्टिक कैसे काम करता है: जापानी वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रिक चॉपस्टिक्स बनाई हैं। इनके काम करने का तरीका ऐसा होता है कि शरीर में नमक की मात्रा को बढ़ने से रोका जा सकेगा। यह खाने के स्वाद को 1.5 गुना तक बढ़ा देता है। जानिए वे कैसे काम करते हैं
अप्रैल 19, 2022 | 6:27 अपराह्न
बर्गर, नूडल्स समेत कई ऐसी चीजें हैं, जिनसे शरीर में नमक की मात्रा बढ़ रही है। शरीर में नमक बढ़ने से दिल और किडनी समेत कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इन्हें रोकने के लिए जापानी वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रिक चॉपस्टिक बनाई है। इनके काम करने का तरीका ऐसा होता है कि शरीर में नमक की मात्रा को बढ़ने से रोका जा सकेगा। जानिए यह कैसे काम करता है…
इसे तैयार करने वाले जापान की मीजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि जब कोई व्यक्ति इन इलेक्ट्रिक चॉपस्टिक से खाना खाता है, तो वे मुंह में सोडियम आयन छोड़ते हैं और नमकीन स्वाद महसूस होता है। ये चॉपस्टिक हाथ में पहने जाने वाले उपकरण से जुड़े होते हैं। यह वही है जो इसे संचालित करता है और आपको नमकीन महसूस कराने का काम करता है। इसलिए, यह अतिरिक्त मात्रा में नमक को शरीर में पहुंचने से रोक सकता है।
शोधकर्ता होमी मियाशिता ने रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा है कि ये चॉपस्टिक इलेक्ट्रिक स्टिमुलेशन के जरिए खाने का स्वाद बढ़ाएंगे। इसे हाथ में पहने जाने वाले मिनी कंप्यूटर से नियंत्रित किया जा सकता है। इस डिवाइस में बहुत ही कमजोर करंट का इस्तेमाल किया जाता है, इससे कोई खतरा नहीं होता है। इलेक्ट्रिक चॉपस्टिक के इस्तेमाल से स्वाद 1.5 गुना तक बढ़ जाता है।
यह चॉपस्टिक खासतौर पर लोगों के खाने से नमक कम करने की कोशिश करेगी क्योंकि ज्यादातर देशों के खाने में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। खासकर एशियाई भोजन में। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एक दैनिक आहार में नमक की मात्रा 5 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि जापान में औसत लोग प्रतिदिन 10 ग्राम नमक खा रहे हैं।
नमक की अधिक मात्रा शरीर में पहुंचकर कई बीमारियों को जन्म दे सकती है। उदाहरण के लिए- हृदय और किडनी, उच्च रक्तचाप की समस्या, ऑस्टियोपोरोसिस, पेट का कैंसर आदि। शोधकर्ता किरिन का कहना है कि इन रोगों के जोखिम को कम करने के लिए आहार में नमक कम करने की आवश्यकता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक चॉपस्टिक मददगार साबित हो सकती है। इसे अगले साल तक बाजार में उतारा जा सकता है।