जिम्बाब्वे के इस क्रिकेटर ने डेब्यू मैच में ही सचिन तेंदुलकर को बनाया शिकार हालांकि इस शानदार ऑलराउंडर का करियर ज्यादा लंबा नहीं चल सका।

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एक समय था जब जिम्बाब्वे क्रिकेट टीम फ्लॉवर भाइयों को एंडी और ग्रांट के नाम से जाना जाता था। हीथ स्ट्रीक भी एक ऐसा नाम था जिसकी चर्चा हुआ करती थी, लेकिन फिर 1998 में एक ऐसा खिलाड़ी आया जिसने अपने खेल से जिम्बाब्वे क्रिकेट को बहुत कुछ दिया। उस खिलाड़ी का करियर ज्यादा लंबा नहीं चला लेकिन अपने छोटे से करियर में इस खिलाड़ी ने खूब नाम कमाया और जिम्बाब्वे के लिए शानदार खेल दिखाया। ये खिलाड़ी हैं नील जॉनसन। नील की बात इसलिए क्योंकि आज यानी 24 जनवरी को उनका जन्मदिन है. नील का जन्म 1970 में हुआ था।
उनका जन्म जिम्बाब्वे में हुआ था लेकिन अपने पिता की नौकरी के कारण 10 साल की उम्र में देश छोड़कर दक्षिण अफ्रीका चले गए। लेकिन उनके खेल को देखते हुए जिम्बाब्वे क्रिकेट ने उन्हें स्वदेश लौटने का न्यौता दे दिया. नील ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 7 अक्टूबर 1998 को उन्होंने भारत के खिलाफ टेस्ट मैच के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया।
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सचिन ने किया शिकार
भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर उस समय विश्व क्रिकेट के बड़े बल्लेबाज बन चुके थे। उनकी गिनती महान बल्लेबाजों में होने लगी थी। अपने पहले ही टेस्ट मैच में नील ने सचिन को अपना शिकार बनाया था. वो भी एक बार नहीं बल्कि दो बार। इस मैच की दोनों पारियों में नील ने सचिन को आउट किया था. हालांकि इस मैच में वह बल्ले से कुछ खास योगदान नहीं दे सके, लेकिन उन्होंने अपनी गेंदबाजी से कमाल कर दिखाया. यहीं से नील ने अपनी पहचान बनानी शुरू की। वह वनडे में टीम के लिए ओपनिंग करते थे और नई गेंद को संभालने का दम भी रखते थे।
1999 वर्ल्ड कप में जलवा दिखाया
जिम्बाब्वे लंबे समय से विश्व कप खेल रहा है लेकिन वह कभी भी विश्व कप जीतने वाली टीमों में नहीं रहा। हालांकि 1999 में इस टीम ने शानदार खेल दिखाया था और एक समय ऐसा लग रहा था कि ये टीम सेमीफाइनल में पहुंच जाएगी. इसकी वजह थी नील का परफॉर्मेंस। वह इस विश्व कप में जिम्बाब्वे के शीर्ष स्कोरर और सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। इस विश्व कप के आठ मैचों में नील ने 12 विकेट लिए और 52.42 की औसत से 367 रन बनाए। उनके हरफनमौला खेल के दम पर जिम्बाब्वे की टीम सुपर-6 में पहुंचने में सफल रही थी.
इस विश्व कप में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आया था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ उन्होंने 76 रन की शानदार पारी खेली और 27 रन देकर तीन विकेट लिए। उनके प्रदर्शन के दम पर जिम्बाब्वे ने दक्षिण अफ्रीका को 48 रनों से हरा दिया. वहीं, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने वनडे करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली और 132 रन बनाए। उन्होंने शेन वार्न के एक ओवर में चार चौके जड़े। वह इस टूर्नामेंट में तीन बार मैन ऑफ द मैच बने।
इस वजह से करियर जल्दी खत्म हो गया
वर्ष 2000 में नील अपने अंतरराष्ट्रीय करियर को अलविदा कह दिया। इसकी वजह जिम्बाब्वे क्रिकेट बोर्ड से उनका विवाद था। वे और बोर्ड वेतन के मुद्दे पर अड़े थे और यह खिलाड़ी संन्यास ले चुका था. इसके बाद वह काउंटी क्रिकेट में खेले। जिम्बाब्वे के लिए खेले गए 13 टेस्ट मैचों में नील ने 24.18 की औसत से 532 रन बनाए, जिसमें एक शतक और चार अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, 48 वनडे में इस बल्लेबाज ने 36.50 की औसत से 1679 रन बनाए। नील ने वनडे में चार शतक और 11 अर्धशतक लगाए।