वेस्टइंडीज के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक सिलवेस्टर क्लार्क का अंतरराष्ट्रीय करियर ज्यादा लंबा नहीं रहा लेकिन सभी बल्लेबाज उनसे डरते थे।

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विश्व क्रिकेट में जब भी सबसे घातक तेज गेंदबाजी आक्रमण की बात होती है तो हर किसी की जुबान पर 1970 और 1980 के दशक की वेस्टइंडीज टीम का नाम आता है। इस टीम में माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर, कॉलिन क्रॉफ्ट और मैल्कम मार्शल जैसे तूफानी गेंदबाज थे, जिनकी रफ्तार से बल्लेबाजों को डर लगता था. इनके अलावा उस दौर में विंडीज के और भी कई तेज गेंदबाज आए, जो उतने ही तेज थे लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिल सके। इसमें सबसे ऊपर यदि कोई नाम है तो वह है- सिल्वेस्टर क्लार्कयह घातक गेंदबाज न केवल बल्लेबाजों को डराता था, बल्कि एक बार दर्शकों से भिड़ भी गया था।
आज ही के दिन 41 साल पहले सिल्वेस्टर क्लार्क ने कुछ ऐसा किया था जिसने सभी को हैरत में डाल दिया था और मैच के दौरान बीच मैदान में हिंसक स्थिति बन गई थी. बात 31 दिसंबर 1981 की है, जब वेस्टइंडीज की टीम टेस्ट सीरीज के लिए पाकिस्तान के दौरे पर थी। टेस्ट सीरीज का चौथा मैच 30 दिसंबर से मुल्तान में शुरू हुआ था। सिल्वेस्टर क्लार्क इस मैच का हिस्सा थे और पाकिस्तानी बल्लेबाजों पर कहर बरपा रहे थे।
दर्शकों पर फेंकी ईंट
मैच के दूसरे दिन क्लार्क ने दोनों पाकिस्तानी सलामी बल्लेबाजों को पवेलियन लौटा दिया था। उनका डर पाकिस्तानी बल्लेबाजों पर साफ नजर आ रहा था लेकिन बाउंड्री के पास फील्डिंग करते वक्त पाकिस्तानी फैन्स उन्हें परेशान कर रहे थे. क्लार्क पर संतरे और पत्थर फेंके जा रहे थे। कुछ देर तक इसे झेलने के बाद आखिरकार क्लार्क ने अपना आपा खो दिया और मैदान में रखी एक ईंट दर्शकों की ओर फेंक दी, जिससे एक व्यक्ति घायल हो गया।
क्लार्क की इस हरकत से दर्शक भड़क उठे और स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी। मैदान में भीड़ का उन्माद शुरू हो गया। दंगा भड़कने से पहले, वेस्टइंडीज के दिग्गज खिलाड़ी एल्विन कालीचरन को दर्शकों से घुटने टेककर माफी मांगनी पड़ी, जिन्होंने स्थिति को संभाला।
इस हरकत के लिए क्लार्क को सजा भी मिलनी थी और वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड ने उन पर दो मैचों का बैन लगा दिया था। एक तरह से इस प्रतिबंध ने क्लार्क के अंतरराष्ट्रीय करियर को पटरी से उतार दिया। प्रतिबंध से लौटने के बाद वह केवल एक और टेस्ट मैच खेल सके और उन्हें फिर कभी मौका नहीं मिला।
बाउंसर से बल्लेबाजों में खौफ
क्लार्क, 6 फीट 2 इंच लंबे और दाएं हाथ के तेज गेंदबाज, अपनी गति के साथ-साथ अपने घातक बाउंसरों और घातक इरादों के लिए जाने जाते थे। वह अपने दौर के सबसे तेज गेंदबाजों में से एक थे और बल्लेबाज उनसे खौफ खाते थे। खासकर उनकी बाउंसर ज्यादा डरावनी थी, जिसका इस्तेमाल वह आमतौर पर बल्लेबाजों के शरीर को निशाना बनाने के लिए करते थे. विंडीज के महान बल्लेबाज विवियन रिचर्ड्स ने भी कहा था कि क्लार्क ही एकमात्र ऐसे गेंदबाज थे जिनका सामना करने से उन्हें डर लगता था।
क्लार्क आतंक का दूसरा नाम था
सिल्वेस्टर क्लार्क का अंतरराष्ट्रीय करियर केवल 4 साल ही चला। 1978 में टेस्ट और वनडे में पदार्पण करने वाले क्लार्क ने वेस्टइंडीज के लिए कुल 11 टेस्ट और 10 वनडे खेले। इसमें उन्होंने टेस्ट में 42 विकेट लिए, जबकि वनडे में उन्होंने सिर्फ 13 विकेट लिए। भले ही अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनके आंकड़े प्रभावशाली नहीं थे, लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका काफी जलवा था, खासकर इंग्लिश काउंटी में। काउंटी के बल्लेबाज उसके खौफ में रहते थे। क्लार्क ने सरे के लिए 9 सीज़न में 591 विकेट लिए, जबकि अपने पूरे प्रथम श्रेणी करियर में 942 विकेट लिए। 1999 में 44 वर्ष की आयु में उनका बारबाडोस में निधन हो गया।