भारतीय एथलीट श्री राम सिंह ने भारत के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं। उन्हें उनका हक दिलाने के लिए दिल्ली में राजपथ पर मैराथन का आयोजन किया गया.

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भारतीय पहलवानों की हड़ताल ने देश के लोगों को हैरान कर दिया। देश के लिए ओलिंपिक, कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में मेडल जीतने वाले खिलाड़ी अपने साथ हुए अन्याय को लेकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठ गए. इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हुई थी। तीन दिन तक हंगामा होता रहा और आखिरकार खेल मंत्रालय को मामले में दखल देना पड़ा। लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ। भारत में पहले भी खिलाड़ियों को अधिकार दिलाने के लिए इसी तरह के आंदोलन हुए हैं।
52 साल पहले ऐसा ही एक विरोध दिल्ली के राजपथ पर हुआ था। इसका असर दिखने लगा और इस विरोध की वजह से भारत को एक ऐसा एथलीट मिल गया जो एशियन चैंपियन भी बना. यह कहानी है भारत के स्टार एथलीट श्रीराम सिंह की। अगर आपने यह नाम नहीं सुना है तो इस कहानी को जानने के बाद आप उन्हें जरूर पहचान लेंगे।
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श्रीराम को टीम में जगह नहीं मिली
श्रीराम सिंह भारत के सबसे सफल मध्यम दूरी (400 मीटर और 800 मीटर) एथलीटों में से एक हैं। वर्ष 1968 में, वह राजपुताना राइफल्स में शामिल हो गए। जहां एथलेटिक्स कोच इलियास बाबर ने श्रीराम से 400 और 800 मीटर दौड़ में भाग लेने को कहा। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर काफी सफलता हासिल की। साल 1970 में एशियाई खेलों का आयोजन बैंकॉक में होना था। सभी को विश्वास था कि श्रीराम इन खेलों में भाग लेंगे और पदक लाएंगे। हालांकि जब खिलाड़ियों के नामों की घोषणा हुई तो श्रीराम का नाम शामिल नहीं होने से सभी हैरान रह गए।
राजपथ पर विरोध
श्रीराम की प्रतिभा को जानने वालों को यह बात अच्छी नहीं लगी। वरिष्ठ पत्रकार नॉरिस प्रीतम ने एक टीवी कार्यक्रम में बताया कि दिल्ली के कुछ स्थानीय एथलीट श्रीराम के समर्थन में उतर आए। उन्होंने बाजू पर काली पट्टी बांधी और राजपथ पर मैराथन की। अगले दिन यह खबर अखबारों में प्रमुखता से छपी। सरकार ने इस पर संज्ञान लिया और तब जाकर श्रीराम को टीम में जगह मिली। श्रीराम ने अपने समर्थकों को निराश नहीं किया। उन्होंने 800 मीटर में रजत पदक जीता। यह उनके शानदार करियर की शुरुआत भर थी।
भारत को मिले कई मेडल
इसके बाद वे 1974 में तेहरान में हुए एशियाई खेल 800 मीटर में गोल्ड मेडल और 4X400 मीटर रिले में सिल्वर मेडल जीता। 1978 के एशियाई खेलों में भी वे 800 मीटर के चैंपियन बने और एक बार फिर रिले में रजत पदक जीता। उन्होंने 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक खेलों में 800 मीटर के फाइनल में जगह बनाई। क्वालीफाइंग राउंड में, उन्होंने 1:45.86 का समय निकालकर एशियाई रिकॉर्ड बनाया जो 14 साल तक बना रहा। वहीं, उनका यह राष्ट्रीय रिकॉर्ड 42 साल तक भारत में बना रहा। साल 2018 में जिनसन जॉनसन ने उनका रिकॉर्ड तोड़ा था।