साल 2022 वेटलिफ्टिंग के लिए बेहतरीन रहा। भारतीय भारोत्तोलकों ने राष्ट्रमंडल खेलों में अपना जलवा दिखाया, जबकि मीराबाई चानू ने विश्व चैंपियनशिप में भी अपना लोहा मनवाया।

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मीराबाई चानू ने विश्व चैंपियनशिप में अपना दूसरा पदक जीतकर 2022 में भारतीय भारोत्तोलन में अपना दबदबा कायम रखा, जबकि अन्य एथलीटों ने भी राष्ट्रमंडल खेलों में अपना जलवा बिखेरा। मणिपुर से मीरा बाई कॉमनवेल्थ गेम्स में 49 किग्रा में पहला स्थान हासिल कर भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया। यहां उनका कॉमनवेल्थ गेम्स में तीसरा और लगातार दूसरा गोल्ड मेडल रहा। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीतकर साल का अंत शानदार तरीके से किया।
इससे पहले मीराबाई चानू ने 2017 में इस प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने कुल 200 किग्रा वजन उठाया था। मीराबाई ने स्नैच में 87 और क्लीन एंड जर्क में 113 किग्रा भार उठाया। उन्होंने क्लीन एंड जर्क वर्ग में रजत पदक भी जीता।
चानू 90 किलो वजन नहीं उठा पाईं
हालांकि वह इस साल भी स्नैच में 90 किग्रा भार नहीं उठा सकीं, जिसके लिए वह 2020 से प्रयास कर रही हैं। इस साल जुलाई-अगस्त में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय भारोत्तोलक चमके और कुछ रिकॉर्ड भी बनाए।
जेरेमी लालरिनुंगा ने स्नैच और कुल वजन में एक नया राष्ट्रमंडल खेल रिकॉर्ड स्थापित करने के लिए 300 किग्रा (140 किग्रा और 160 किग्रा) उठाया। अचिंता श्युली ने 313 किग्रा (143 किग्रा और 170 किग्रा) के प्रयास के साथ स्नैच और कुल वजन में एक नया खेल रिकॉर्ड भी बनाया।
राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलकों का जलवा
राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों ने तीन स्वर्ण, इतने ही रजत और चार कांस्य पदक सहित कुल 10 पदक जीते। जबकि मीराबाई (49 किग्रा), जेरेमी (73 किग्रा) और अचिंता (77 किग्रा) ने स्वर्ण पदक जीते, संकेत सागर (55 किग्रा), विकास ठाकुर (96 किग्रा), एस बिंद्राणी (55 किग्रा) ने रजत जबकि पी गुरुराजा (61 किग्रा), लवप्रीत सिंह (109 किग्रा) ), गुरदीप सिंह (109 किग्रा+) और हरजिंदर कौर (71 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते।
भारत राष्ट्रमंडल खेलों की भारोत्तोलन प्रतियोगिता की अंक तालिका में शीर्ष पर था, लेकिन मीराबाई के अलावा कोई अन्य खिलाड़ी इस लय को आगे कायम नहीं रख सका। उनमें से ज्यादातर ने एशियाई और विश्व चैंपियनशिप में भाग नहीं लिया था।
हर्षदा गरुड़ ने रचा इतिहास
वर्ष 2022 में, भारत को हर्षदा गरुड़ के रूप में खेल में अपना पहला जूनियर विश्व चैंपियन मिला। 19 साल की इस खिलाड़ी ने वो कारनामा कर दिखाया जो मीराबाई भी अपने जूनियर करियर के दौरान नहीं कर पाईं। उन्होंने 45 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद हर्षदा ने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर अपना प्रभावशाली प्रदर्शन जारी रखा। पिछले कुछ समय से डोपिंग और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दों से जूझ रहे भारोत्तोलन को लॉस एंजिलिस में 2028 में होने वाले ओलिंपिक खेलों में शामिल नहीं किया गया है। भारोत्तोलन महासंघ ने कुछ कदम उठाए हैं जिससे इस खेल को लॉस एंजिल्स खेलों में शामिल करने की संभावना बढ़ गई है।