• Business
  • Contact Us
  • Crime
  • Entertainment
  • Home
  • Politics
  • Sports
  • Tech
Saturday, July 2, 2022
  • Login
News Better
  • HOME
  • Entertainment
  • Sports
  • Tech
  • Crime
  • Politics
  • Business
No Result
View All Result
News Better
No Result
View All Result

Home » TV9 EXCLUSIVE ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर सीरीज: ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 45 साल पहले रखी गई थी, यह वह युद्ध था जिसे भारतीय सेना ने ‘अपूनों’ के खिलाफ लड़ा था।

TV9 EXCLUSIVE ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर सीरीज: ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 45 साल पहले रखी गई थी, यह वह युद्ध था जिसे भारतीय सेना ने ‘अपूनों’ के खिलाफ लड़ा था।

02/06/2022
in crime
0
491
SHARES
Share on FacebookShare on Twitter

TV9 EXCLUSIVE ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर सीरीज: ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 45 साल पहले रखी गई थी, यह वह युद्ध था जिसे भारतीय सेना ने 'अपूनों' के खिलाफ लड़ा था।

ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी पर अमृतसर में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

छवि क्रेडिट स्रोत: पीटीआई

TV9 एक्सक्लूसिव ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर सीरीज 1 जून 1984 से 6-7 जून तक चलने वाले ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव 45 साल पहले यानी 1977 के आसपास रखी गई थी। उस समय के कुछ नेता खालिस्तान समर्थकों के पक्ष में थे जबकि कुछ विरोध में थे।

अब तक दुनिया समझ चुकी है कि ऑपरेशन ब्लू स्टार (ऑपरेशन ब्लू स्टार) 1 जून 1984 से शुरू हुआ और 6-7 जून 1984 को समाप्त हुआ। सच तो यह है कि ऐसा नहीं है। दरअसल सच्चाई यह है कि लगभग 45 साल पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार की नींव रखी गई थी। जी हां, इसे अंजाम देने के लिए खून की होली 45 साल बाद यानि 1 जून से 7-8 जून 1984 तक खेली जा सकी। गुलाम और आजाद भारत के इतिहास में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ ही एक ऐसा युद्ध था, जो किसके द्वारा लड़ा गया था? हिंदुस्तानी सेना (हिंदुस्तान सेना)।भारतीय सेना) अपनों के खिलाफ लड़े थे। इन दिनों मनाई जा रही ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की बरसी के मौके पर TV9 भारतवर्ष की ये खास सीरीज’ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर‘में आपको एक के बाद एक कई सच्ची कहानियां पढ़ने को मिलेंगी। नीचे से निकली वो कहानियाँ, जो आज से पहले न कभी आपने किसी से सुनी होंगी और न ही अब से पहले कभी पढ़ी होंगी। क्योंकि TV9 भारतवर्ष ऑपरेशन ब्लू स्टार की सीबीआई (सीबीआईइस सीरीज में लिख रहे दबंग ‘इनसाइडर’ शांतनु सेन आमतौर पर ऐसे विषयों पर बात करने से हमेशा बचते रहे हैं।

ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर की मुंह में पानी भरने वाली कहानी लिखने-पढ़ने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कौन है उस खूनी ऑपरेशन के अंदरूनी सूत्र शांतनु सेन? शांतनु सेन दरअसल, डिप्टी एसपी सीबीआई जैसी देश की इकलौती बड़ी जांच एजेंसी में दाखिल हुए थे। उस यूरिया घोटाले के बाद, ऑपरेशन ब्लू स्टार, 1993 मुंबई सीरियल बम विस्फोट, सीबीआई के पंजाब सेल के पहले प्रमुख बनने के बाद खालिस्तान समर्थक खडकू की कमर तोड़ने वाले बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त से जुड़े मामले, 1996 में सीबीआई से सेवानिवृत्त शांतनु सेन हैं। चला गया। सेवानिवृत्ति के समय शांतनु सेन सीबीआई में संयुक्त निदेशक थे। सीबीआई से सेवानिवृत्त होने के बाद शांतनु सेन लंबे समय तक दिल्ली के तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) भी रहे। पेश है ऑपरेशन ब्लू स्टार इनसाइडर सीरीज़ में शांतनु सेन की मुँह में पानी लाने वाली आँखों की कहानी।

‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ की नींव 1977 में रखी गई थी

टीवी9 भारतवर्ष से लंबी अवधि तक एक्सक्लूसिव बातचीत में ऑपरेशन ब्लू स्टार के जांच अधिकारी रहे शांतनु सेन ने ‘इनसाइडर’ में इस रिपोर्टर को बताया कि यह सिर्फ चौंकाने वाला नहीं है. बल्कि इस खास सीरीज में कई ऐसी बातें भी सामने आएंगी जिन्हें पाठक शायद पहली बार पढ़ेंगे. शांतनु सेन के अनुसार, ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार वह युद्ध था जिसे भारतीय सेना ने अपने ही खिलाफ लड़ा था। भले ही यह ऑपरेशन 1 जून 1984 को शुरू हुआ था। लेकिन इसकी नींव 1977 यानि 45 साल पहले रखी गई थी। जो उस समय के भारतीय शासकों के कानों में नहीं था ! 1977 में जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले दमदमी टकसाल यानी जत्थेदार के 14वें मुखिया बने। वह सिख समुदाय में बहुत लोकप्रिय हुए। उन दिनों जरनैल सिंह भिंडरावाले आदि ने मिलकर तय किया कि भारत में सिख समुदाय को एक अलग गणतंत्र होना चाहिए।

इसलिए खालिस्तान बनाने का कीड़ा कहा गया

जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले के मन में सिख समुदाय के लिए एक अलग विशेष आरक्षित राज्य (राज्य) बनाने का कीड़ा क्यों बैठा था? पूछे जाने पर सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक शांतनु सेन, जो ऑपरेशन ब्लू स्टार के जांच अधिकारी थे, कहते हैं, “सिखों का मानना ​​था कि वे एक अलग धर्म और जाति के हैं। उनके लिए कोई जगह होनी चाहिए जहां केवल उनका शासन हो। साथ में। इसके साथ ही पंजाब की पांच प्रसिद्ध नदियों के पानी का हिस्सा भी उन्हीं का होना चाहिए। यह उनकी अपनी सरकार बनाने से ही संभव था। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि जत्थेदार जनरैल सिंह भिंडरावाले ने भारत के भीतर ही खालिस्तान राज्य बनाने की योजना बनाई थी। यहीं से असली लड़ाई शुरू हुई जिसे ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद और गति मिली।

शांतनु

शांतनु सेन सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक हैं।

45 साल तक भारत में ही एक खास समुदाय (सिख समुदाय) अपना अलग राज्य बनाने की योजना बनाता रहा। क्या यह सब भारत की तत्कालीन सरकार और भारतीय खुफिया एजेंसियों की विफलता का संकेत नहीं है?

पंजाब सीआईडी ​​की भी नहीं सुनी गई

पूछे जाने पर ऑपरेशन ब्लू स्टार की जांच करने वाले सीबीआई के पूर्व अधिकारी कहते हैं, ‘नहीं नहीं, आप गलत हैं। दरअसल पंजाब राज्य की सीआईडी ​​को यह सब पता था। वह इन सभी सनसनीखेज सूचनाओं को कई बार शासकों तक भी पहुंचा चुका था। लेकिन सीआईडी ​​के हाथ-पैर बंधे हुए थे। उस समय के केवल कुछ राजनेता ही परोक्ष रूप से जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थन कर रहे थे। हालांकि जीभ को दबा दिया, लेकिन इस मुद्दे पर सिख समुदाय का समर्थन करने वाले देश के कुछ राजनेताओं का मानना ​​था कि यह सब सिख समुदाय के लिए बेहतर है। तो ऐसे में पंजाब सीआईडी ​​आगे क्या कर सकती है? शासकों को अंदर की जानकारी देने के अलावा। उस समय देश के शासकों द्वारा कार्रवाई की जानी थी। अपनी बात को जारी रखते हुए शांतनु सेन आगे कहते हैं, ‘दरअसल इन सबके पीछे उस समय के शासकों-नेताओं के मन में यह भ्रांति थी कि वे सिखों को इस काम के लिए (खालिस्तान राज्य बनाने के लिए) धीरे-धीरे आगे बढ़ने देंगे। ज्यादा गड़बड़ी होने पर उस पर तुरंत ब्रेक लगा दिया जाएगा।

ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के पीछे का कारण

यह कुछ राजनेताओं-अधिकारियों की सबसे बड़ी गलतफहमी थी और फिर ऑपरेशन ब्लू स्टार, फिर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का पहला और आखिरी कारण बना। क्योंकि भारत के एक तबके की सत्ता संभालने वाले राजनेता जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले जैसे सिखों का नेतृत्व करने वालों को अपने हाथों में खिलाने का इरादा रखते होंगे। उन्हें लग रहा होगा कि सिख समुदाय जो कर रहा है उसे करने दिया जाना चाहिए। यदि पानी सिर के ऊपर चला गया तो सरकारी तंत्र इन सब पर अंकुश लगाएगा। यह तत्कालीन शासकों और शासकों की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। इस गलती के कारण ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ और देश के प्रधानमंत्री की हत्या हुई। हालांकि, उस समय भी कई लोग थे जिन्होंने जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले के समर्थन में बोलने वालों का विरोध किया था। सत्ता में सिख समर्थक नेताओं पर, लेकिन विरोधी नेताओं के नेताओं को उनकी नब्ज नहीं मिली।

1982 तक सब कुछ बदल चुका था।

इसलिए, 1982 तक, अमृतसर, पंजाब में स्थित सिखों के पवित्र धार्मिक स्थान स्वर्ण मंदिर परिसर (हरमिंदर साहिब स्वर्ण मंदिर) पर जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों का कब्जा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी की हत्या का यह दूसरा कारण था।

विभिन्न प्रकार के पंजाब (खालिस्तान) से आप क्या समझते हैं? सवाल के जवाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार के सीबीआई के जांच अधिकारी रहे शांतनु सेन कहते हैं, ‘भिंडरावाले के सामने शासक वर्ग लाचार क्यों था? मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा। हां, यह जरूरी है कि पंजाब सीआईडी ​​से प्राप्त किसी खुफिया सूचना पर इंदिरा गांधी के शासन में मौजूद सिविल (प्रशासनिक स्टाफ) अधिकारी उस सीआईडी ​​रिपोर्ट के बदले में कोई कार्रवाई नहीं कर पाए। जांच के दौरान ये सारे तथ्य सामने आए। इसलिए धीरे-धीरे सरकार की इस कमजोरी का नाजायज फायदा उठा रहे जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले को अपनी मर्जी से उस सरकार पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

स्वर्ण मंदिर की चौखट पर वो पहली हत्या

रातों-रात स्वर्ण मंदिर परिसर अपने आप में एक अघोषित पृथक क्षेत्र बन गया। जिस पर नागरिक प्रशासन का नियंत्रण खत्म होता नजर आ रहा था। यह बात उसी दिन साबित हुई जब 25 अप्रैल 1983 को पंजाब पुलिस के डीआईजी अवतार सिंह अटवाल जो उस समय जालंधर रेंज और अमृतसर में बेस के डीआईजी (पुलिस) थे। उन्हें स्वर्ण मंदिर के द्वार पर एक अकेले बंदूकधारी ने सार्वजनिक रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमलावर जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थक था। डीआईजी अटवाल उस दिन स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने गए थे। जिस बंदूकधारी ने उसे गोली मारी वह असल में खालिस्तान का समर्थक था। ऑपरेशन ब्लू स्टार या कहें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम दिए जाने से करीब एक साल पहले डीआईजी अवतार सिंह अटवाल स्वर्ण मंदिर की दहलीज पर पहली हत्या थी। हालांकि दिन दहाड़े अवतार सिंह अटवाल की हत्या की घटना ने इतना डर ​​फैला दिया कि पंजाब पुलिस ने अपने ही डीआईजी के शव को उठाने की हिम्मत नहीं की। घंटों तक शव मौके पर पड़ा रहा। उसके बाद पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने जत्थेदार जरनैल सिंह भिंडरावाले से फोन पर बात की और पुलिस अधिकारी के शव को मौके से हटाने की अनुमति मांगी.

इसे भी पढ़ें



चल रहे…..

Source link

Share this:

  • Twitter
  • Facebook

Related

Share196Tweet123Share49

Related Posts

क्या कहती है सीआरपीसी की धारा 163, जिसमें सबूत के साथ प्रलोभन से जुड़ी बातें हैं

by newsbetter
01/07/2022
0

सीआरपीसी हर कदम...

मलेशिया : युवक के शव पर क्रूरता! बुजुर्ग महिला को कार ने टक्कर मारी, फिर ‘डेड बॉडी’ लेकर ‘नॉन स्टॉप’ चलाती रही

by newsbetter
01/07/2022
0

मलेशिया में बड़ा...

मुंबई क्राइम: पत्रकार जेजे हत्याकांड का दोषी पैरोल पर फरार, मुंबई पुलिस ने हल्द्वानी में केस दर्ज किया

by newsbetter
01/07/2022
0

पत्रकार जे डे...

सावधानी : धड़ल्ले से बिक रहा है मिलावटी खून.. कहीं न कहीं आप इस मौत के मर्चेंट गैंग के शिकार तो नहीं बने…

by newsbetter
01/07/2022
0

यूपी पुलिस की...

News Better

Copyright © 2022 sarkarimarg.com

Navigate Site

  • Business
  • Contact Us
  • Crime
  • Entertainment
  • Home
  • Politics
  • Sports
  • Tech

Follow Us

No Result
View All Result
  • HOME
  • Entertainment
  • Sports
  • Tech
  • Crime
  • Politics
  • Business

Copyright © 2022 sarkarimarg.com

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In